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सत्य का पालन करना श्रेयकर है। घमंडी होना, गुस्सा करना, दूसरे को नीचा दिखाना , ईर्ष्या करना आदि को निंदनीय माना  गया है। जबकि चापलूसी करना , आत्मप्रशंसा में मुग्ध रहना आदि को घृणित कहा जाता है। लेकिन जीवन में इन आदर्शों का पालन कितने लोग कर पाते हैं? कितने लोग ईमानदार, शांत, मृदुभाषी और विनम्र रह पाते हैं।  कितने लोग इंसान रह पाते हैं? बड़ा मुश्किल होता है , आदमी का आदमी बने रहना।

Hindi Poem by Ajay Amitabh Suman : 111661122

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