#बचपन

इस टूटे तारे से गुजरा वक़्त मांग लु,
इस जवानी से वो बचपन मांग लु ।

वो बिना ताज का राजा बन के,
पिता से जिद्द का हक मांग लु।

वो दिल का तराना गा के,
शरारत करने का हक मांग लु।

वो मां का थप्पड़ खा के,
छुप के हसने का तजुरबा मांग लु।

इस जिंदगानी से बचपन नहीं,
बस,थोड़ासा बचपना मांग लु।

महेक परवानी

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111655312
मनिष कुमार मित्र" 3 years ago

वाह वाह वाह..... दिलो दिमाग को अद्वितीय रोमांचित कर दिया... धन्यवाद 🙏

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