आज प्रेम रह गया है प्रदर्शन मात्र,
चंद शब्दों के जाल में उलझा हुआ,
हाथों में हाथ ले सड़क पर चलते,
मोबाइल पर घण्टों बतियाते,
पार्कों,रेस्टोरेंट में बैठकर मुस्कराते,
माइक हाथों में थामकर अपनी
स्वीटहार्ट के लिए गीत गाते,
आशिकों की बेहिसाब मुहब्बत
सिमट गई है केक और बुके में,
चांद-तारे तोड़ लाने वाले,
एक दूजे के लिए जहां छोड़ने वाले,
जीवन रण में घबरा जाते हैं,
दम तोड़ देता है उनका प्यार,
वैवाहिक वर्षगांठ पर पार्टी में,
सजे-सँवरे,होठों पर कृत्रिम हंसी,
घर के अंदर शेष है दूरियां,
घुटन,तमाम आरोप-प्रत्यारोप,
बस अवशेष है बिखरा, मुरझाया प्रेम।
ये आज का प्रेम।।।
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