तुम चाहो तो गरीबी को बीमार कह लो
तुम चाहो तो पढ़े लिखे को गवार कर लो!!

5 साल की सरकार तुम्हारा
जो चाहो सब काम कर लो!!


छुट्टी का दिन बितने लगा यही पर।
अपने दफ्तर को तुम घर बार कह लो।।

इसी पर मिलने लगी अब हर खबर।
अपने मोबाइल को अखबार कह लो!।

बस बहुत हुआ इस बार
अब कोई  (सरकार)ना कर पाएगा अपना मनमाना कार्य!

इस बार जो रूठे सालों तक हमसे!
वोट ना देंगे हम भी कसम से
सुन ले वोट माँगने से पहले!!

वोट में अटकी जान है तेरी
जाएगी जो कर दी विकास में देरी
सोच समझ लेना आने से पहले!!

आएगी  जब सीट तुम्हारी
जब करोगे कोइ काम हमारी!!

काहे की हम सबको जब करोगे बीमार
तब तोहरो ना चल पाइ कउनो  सरकार

-Maya

Hindi Poem by Maya : 111651507

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