बरसात के बाद जब धूप पड़ती थी, दादाजी हमेशा अपने सन्दूक के समान को धूप सेकने के लिए आंगन में रख देते..दादाजी का वो पुराना सन्दूक खुलना भी हमारे लिए कौतूहल सा होता.. पुराने सन्दूक में बंद कितने साल की कितनी यादें, बन्द परतों में प्रत्यक्ष.. जिसमे वक़्त ठहरा सा लगता है.. एक थैले में बंद लगभग आधा मीटर झीने से कपड़े का रंग बिरंगा सा टुकड़ा..कपड़ा अपनी पुण्यतिथि कबकी मना चुका था। पर दादाजी थे कि उसकी अंत्येष्टि ही नही कर रहे थे.. मैं और मेरी बहन निहायती उदण्डी जो केवल इसी ताक में रहती की कब दादाजी की नज़र हटे और हम उनके बेशकीमती समान का तरीके से जाइज़ा लें.. हमारे लिए तो वो कोई अलीबाबा और 40 चोर के खज़ाना जैसा था.. दादाजी भी सामान की निगरानी में चौकस रहते और हम भी.. तो मौका मिलते ही मैं और मेरी बहन ने फटाफट वो थैले में से रंग बिरंगा कपड़ा खीच लिया..इतने समय में कपड़ा बहुत कमजोर पड़ चुका था.. जो धीरे धीरे बिखर कर जमीन में गिर रहा था। जिसका एक छोर मेरे हाथ मे और दूसरा मेरी बहन के हाथ में.. वो पूरा फटा कपड़े का टुकड़ा तिरंगा था..जिसमें चक्र की जगह हाथ का निशान था..पर मुझे याद है दादाजी बीजेपी के कट्टर समर्थक थे.. तो फिर ये कांग्रेस का झंडा इतनी सम्भाल कर क्यों रखा था.. दादाजी ने जैसे हमे देखा और झंडे को यू बिखरा देख शायद उन्हें गुस्सा बहुत आया होगा हमपर.. लग रहा था मार बहुत पड़ेगी. पर उन्होंने कुछ कहा नहीं.. बस उसे समेटने लग गए.. उनका वो उन कंपकपाते हाथों से उस जमीन पर बखरे तिरंगे को समेटना..अब भी याद है..मैं मंदबुद्धि उसमे केवल कॉंग्रेस का चिन्ह-हाथ देख रही थी.. और वो केसरिया, सफेद हरा वो रंग तो देख ही नही पाई जो पहचान है हमारी.. जो हम है.. हां वो कोई फौजी नहीं थे, ना पुलिस में थे, पर वो भारतीय तो थे ही.. झंडे में भले कांग्रेस का चिन्ह था पर था तो तिरंगा ही..वो कैसे फेंक सकते थे उसे.. उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी थे. जब भी उनकी फोटो उनके सामने आती दादाजी ऐसे रियेक्ट करते जैसे वो भगवान हो..और हमे बहुत हंसी आती थी ये देखकर.. हां देश का प्रधान मंत्री देश का राजा होता है और राजा पिता समान होता है.. पिता को भगवान समझना कोई गलत सोच नहीं हो सकती..हां अब इस समय किसी को भगवान तो नही समझ सकते..पर अपने देश का इससे जुड़ी हर चीजों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है...हंसी तो अब आती है खुद पर..सोचती हूं काश उनके जैसी थोड़ी सी भी निस्वार्थ देशप्रेम की भावना मुझमें भी होती..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..🙏