लड़की माल नहीं ,मान होती हैं
लड़कियां सामान नही,सम्मान होती हैं!

इज्जत किया करो लड़कियों का
क्या फर्क पड़ता है

तुम्हारे घर की हो या गैरों की होती हैं!

जिस दिन ये नयी सोच, 

हम अपने ज़हन में उतारने लगेंगे,

ये हर दिन होने वाले, बलात्कार, 

छेड़छाड़ सब बन्द होने लगेंगे,


कपड़े छोटे मत पहनो,

ये सोच हमारी छोटी है,

जिस दिन ये बड़ी घूरती नज़रें,

कपड़ों से हटकर कुछ देखेंगी,

हर वो मासूम लड़की में,

अपनी माँ, बहन, बेटी तुमको दिखेगी, 


हर पुरूष की चाह

कि सुन्दर लड़की का साथ मिले,

फिर सुन्दरता को क्यों,

कपड़ों में तलाशता फिर रहा तू,

सोच ही तेरी तुच्छ है,
कपड़ों को तू दोष न दे,

कपड़े तो स्त्री का श्रंगार है,
उसको तू बदनाम न कर,

सोच को तू बदल के देख,
देखने का नजरिया बदल के देख,

कपड़ों से कुछ नहीं होता है,
गिरती सोच का नतीजा होता है,

कुंठित मानसिकता भगानी है,
एक नयी विकसित सोच जगानी है। 

-maya

Hindi Poem by Maya : 111650191

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