●जिंदगी

रातें बसर कर जान लुटा दी गयी बिछड़कर फिर मिलूं मजबूरी नहीं..,
आँखों से कुछ लोग गिरा दिए जाये हरबार आँशु ही गिरे जरूरी नहीं..।

दरमियाँ सफ़र-ए-मुक्कमल मौत हैं ख़्वाईशें बहोत हैं राबतों से मेरी दूरी नहीं..,
जिश्म को पा लेना ही इश्क़ हैं तो सुनो मेरी रूह बेनकाब हैं अधूरी नहीं..।

दिल पर हों रही बारिश-ए-प्यार.., यहाँ कोई मसअला हैं यारी तो नहीं..,
नशा उतर गया पर ख़ुमार बाकी हैं मैंने सिर्फ फ़रमान किया हैं जारी तो नहीं..।

साक़ी उसे कहना रिश्ता निभा सके तो हीं आये इस मर्तबा ग़द्दारी नहीं..,
मुझसे मिल वो रोनें लगा तो कहाँ नाटक बंध करो तुम्हारी साँसे भारी नहीं..।

ग़र जाना भी चाहों तो शौक से जाओ मुझे भी ऐसी रिश्तेदारी प्यारी नहीं..,
खुश रहों आबाद रहों "काफ़िया" किसीके बिना जिंदगी इतनी भी बुरी नहीं..।

#TheUntoldकाफ़िया

insta @kafiiya_

Hindi Poem by TheUntoldKafiiya : 111647992

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