तुम्हारी बातो में आधा अधूरा सा लब्ज़ सुनवाई देते है,
तुम अक्सर साथ रह कर भी दूर रहती है,
ये मुहब्बत में काबिल ए दस्ता नहीं है जान,
जहा चाहे वैसे मेरे ख्वाब को चूर मता कर ।

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ए- हुस्न - की - राजकुमारी

Hindi Shayri by ए- हुस्न - की - राजकुमारी : 111647425

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