🎆🎇🎆🎇🎇🎆🎇🎆🎇
बहुत बाते थी जो मैं उससे कह नहीं पाया
बहुत बातें थी जो उससे कर नहीं पाया
उस बिन मैं कभी रह भी नहीं पाया
दिल में अरमाँ बहुत था कि मैं उस संग जीऊँ
मैं उसे अपना बना नहीं पाया

उससे मिलने की तमन्ना दिल में थी बहुत मगर
उसका इंतजार मैं कर नहीं पाया
मैंने राह देखी बहुत उसकी
मगर वो शख्स मेरे सामने आ नहीं पाया
मैं उसे अपना बना नहीं पाया

उससे प्यार कितना हैं मैं बताना चाहता था
वों शख्स कभी मेरी सुन ही नहीं पाया
मैं उससे कभी मोहब्बत जता भी नहीं पाया
मैं उसे अपना बना नहीं पाया

सोचा था कि एक दिन उसे अपना हाल ऐ दिल बताएंगे
उसे अपना जीवन साथी बनाएंगे
मगर वो शख्स मेरा इंतज़ार कर ही नहीं पाया
मैं उसे अपना बना नहीं पाया

सपने देखे मैंने उसके बहुत मगर
हकीकत में उसे अपना बना नहीं पाया
चाहत दिल में दबा नहीं पाया
मैं उसे अपना बना नहीं पाया

मैं उसे अपने सीने से लगाना चाहता था
हाल ऐ दिल अपना बताना चाहता था
अपनी मोहब्बत जताना चाहता था मगर
उसे बता नहीं पाया, दिल से लगा ही पाया
मैं उसे अपना बना नहीं पाया
🎆🌹🎆🌹🎇🎆🌹🎇

Hindi Poem by Prahlad Pk Verma : 111647329

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now