ऐ जिंदगी तेरा हक अदा नहीं हो रहा है
वों शख्स मेरे दिल से जुदा नहीं हो रहा है
मैं उससे बेइंतहा मोहब्बत कर गया
वों मेरे प्यार में वफादार नहीं हो रहा है
ऐ जिंदगी तेरा हक अदा नहीं हो रहा है

वों शख्स मुझे सपनों में भी रुलाता हैं
वो शख्स ख्वाबों में भी जुदा नहीं हो रहा है
न कभी मिलता और न ही बात करता हैं
उसके बिन रहा भी नहीं जा रहा है
ऐ जिंदगी तेरा हक अदा नहीं हो रहा है

मैं उससे मिलने को बेताब रहता हूं
उसके ख्वाबों में खोया रहता हूं
वों शख्स मुझसे बिछड़ता भी नहीं हैं
वो शख्स मुझे मिलने को बुला भी नहीं रहा हैं
ऐ जिंदगी तेरा हक अदा नहीं हो रहा है

वों शख्स कभी कभी मुझसे बात कर लेता है,
न बिछड़ता हैं, न जुदा होता है
वों शख्स कोई फैसला सुना भी नहीं रहा है
ऐ जिंदगी तेरा हक अदा नहीं हो रहा है

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Hindi Poem by Prahlad Pk Verma : 111646787

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