मे और मेरे अह्सास

प्यार की डोरी से बंधकर
बहुत दूर नीले आसमान में
उड़ना चाहतीं हू l

खुली हवा में मौजूद
मीठी तरंगें सांसों में
भरना चाहतीं हू ll

विशाल गगन मे उड़कर के
आज़ादी को महसूस
करना चाहतीं हू ll

हवाओ मे लहराते हुए
नीले पीले पतंगों से बाते
करना चाहतीं हू ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111644731

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