आज छतों पे इतनी भीड़ क्यों है...?
कही आज फिर थाली बजाने का कार्यक्रम तो नही है..!
अरे ये इतनी जोर से सगीत कहा बज रहा है...?
कही आज मोहल्ले में किसी की शादी तो नही है..!
ये आकाश में इतने रंगबिरंगी पंखी कहा से आये..?
कही ये कागज की पतंग तो नही है...!
जरा देखु तो...हा हा ये तो पतंग ही है...☺️
आज तो पतंगों का उत्सव है।
Happy Makarsankrati😃😃❣️
-Urmi chauhan