मे और मेरे अह्सास

मुहब्बत है तो फिर जताते क्यों नहीं हो l
हाल - ए - दिल बताते क्यों नहीं हो ll

साज श्रृंगार कर के फिरते हो शाम सवेरे l
आईना खुद को दिखाते क्यों नहीं हो ll

नशीली निगाहों से पलकें उठाकर आज l
आँखों से जाम पिलाते क्यों नहीं हो ll

यादो को दिल से लगाए रखा है हरपल l
दिल का रिश्ता निभाते क्यों नहीं हो ll

प्यार है तो जानेजा मुस्कराते हुए l
साथ कुछ पल बिताते क्यों नहीं हो ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111644596

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