एक दिवस ही क्यों हो हिंदी ,
सब भाषाओं की यह बिंदी | 
सुकुमारी और प्यारी है ,
माता यही हमारी है | 
सब मिलकर मनुहार करें, 
अपनी माँ से प्यार करें || 
सभी मित्रों को अशेष शुभकामनाएं ,
हिंदी का त्यौहार प्रतिदिन मनाएं |
डॉ. प्रणव भारती 

Hindi Poem by Pranava Bharti : 111642350
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अत्यंत सुंदर प्रस्तुति...

महेश रौतेला 3 years ago

शिक्षा मंत्री का कहना है," विधि,इंजीनियरिंग, मेडिकल " की शिक्षा हिन्दी और अन्य सक्षम भारतीय भाषाओं में देने जा रहे हैं। यदि कर सकें तो देश के गौरव लिए अच्छा है।

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