जो दर्द बयान ना किया किसी से
वह तुम्हें बताएंगे
यह सोचकर रिश्ता जोड़ा था
समझें ही नहीं मेरे
आंसुओं को कभी
कि मैंने क्यों हर हद को तोड़ा था
कसूर तुम्हारा नहीं
मैंने ही भरोसा
किसी अपने का तोड़ा था😞
भूल गई मैं
कि मेरी मां ने भी
हर दर्द अकेले ही सहा था
अब भूल सको
तो भूल जाना
कि तुमने रिश्ता किसी नादान से जोड़ा था
हां, अब मैं गलत ही सही
लेकिन तुम्हें मैंने
दिल से अपना माना था...
- Shabnam

-Yt@ Simple_Girl_Haneen

Hindi Poem by Simple_Girl_Haneen : 111642003

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