🙏🏻सुप्रभात.. कुछ शरद ऋतु के हायकु आपको नज़र हैं--
हाइकु--कोहरा, धुंध
1- घना कोहरा
कोख में सुरक्षित
प्रकाश पिंड.

2- ओढ़े शरद
कोहरे का कंबल
गर्माई धरा.

3- धुंधली धरा
कुहासे का मफ़लर,
मार्तंड-मुख.

4- घना कुहासा,
बर्फीले अहसास,
कोई ना पास.

4- बाँध गले में,
मफ़लर धुंध का,
सोया सूरज.
5- दिल उदास
छाया कुहासा मन
रवि की आस.
6- क्यों छुपे हो?
धुंध के पल्लू में ,
ओ! दिवाकर
©मंजु महिमा

Hindi Poem by Manju Mahima : 111641772
Annada patni 3 years ago

बहुत सुंदर हाइकु । वाह !!!

मधु सोसि गुप्ता 3 years ago

कुहासा का मफ़लर , धुँध का कम्बल ! वाह वाह । कोख में सुरक्षित प्रकाश पिंड और मार्तंड - मुख आज तक ऐसी उपमाओं का सुंदर प्रोग्राम नहीं देखा ! एवार्ड गोस टू मंजु महिमा !

Pranava Bharti 3 years ago

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Manju Mahima 3 years ago

धन्यवाद🙏💕🙏💕

Manju Mahima 3 years ago

धन्यवाद🙏💕🙏💕

मनिष कुमार मित्र" 3 years ago

मंजू जी वाकई बहुत ही लाजवाब और उत्तम रचना..... धन्यवाद 🙏

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

उतकृष्ट एवम अति उत्तम सृजन...

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