रोने से हम और इश्क में बेबाक हो गए ,
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए ,
शराब की बाढ और आलाते मयकशी ,
ये दो ही थे हिसाब, जो यूँ पाक हो गए ,
रुसवा-ए- हाल हुए आवारगी से तुम ,
मारे, तबीयतो के तो चालाक हो गए ,
कहता है कौन नाले के बुलबुल को बेअसर ,
परदे में गुल के, लाख जिगर चाक हो गए ,
पूछे है क्या वुजूद है मेरी शख्शियत का ,
आप अपनी ही आग में जल के खाक हो गए ,
करने गये थे उससे दगेबाजी का हम गिला ,
कि एक ही निगाह और, कि बस ख़ाक हो गए ,
इस ढंग से उठाई कल उसने " रजनी " की लाश ,
दुश्मन भी जिसको देख के यू गमनाक हो गए .....
-અંજાન K