रोने से हम और इश्क में बेबाक हो गए ,
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए ,

शराब की बाढ और आलाते मयकशी ,
ये दो ही थे हिसाब, जो  यूँ पाक हो गए ,

रुसवा-ए- हाल हुए आवारगी से तुम ,
मारे,  तबीयतो के तो चालाक हो गए ,

कहता है कौन नाले के बुलबुल को बेअसर ,
परदे में गुल के, लाख जिगर चाक हो गए ,

पूछे है क्या वुजूद है मेरी शख्शियत का ,
आप अपनी ही आग में जल के खाक हो गए ,

करने गये थे उससे दगेबाजी का हम गिला ,
कि एक ही निगाह और, कि बस ख़ाक हो गए ,

इस ढंग से उठाई कल उसने " रजनी "  की लाश ,
दुश्मन भी जिसको देख के यू  गमनाक हो गए .....

-અંજાન K

Hindi Poem by ..... : 111641218
Patel Pradip 3 years ago

👌👌👍👍👍👍👍

Priyan Sri 3 years ago

वाह... बहुत ख़ूब 👌 👌

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