मुस्कराहटों के मायने
मत पूछा करो तुम,
दर्द को छिपाने में
.... आँसुओं को,
पलकों की ....
कोरों पे रोकने में
अक़्सर ये,
शुभचिंतक हो जाती है!!!
©

Hindi Poem by Seema singhal sada : 111640044

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