बनकर बादल जो बरस गए
तो प्रेम में हमारे भीग जाओगे
छा जाएगी हरियाली जीवन में
महक में उसकी डूब जाओगे
हो जाओगे बेपरवाह जग से
प्रेम में हमारे खो जाओगे
बस इसलिए प्रेम बरसाते नहीं
अपना स्नेह हम दिखाते नहीं

-आशा झा Sakhi

Hindi Shayri by आशा झा Sakhi : 111639989

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