दास्तान सुना रही थी वो पगली अपने किस्सों की,
हम भी महफ़िल में सामिल हो गए।
उसके हर एक अल्फ़ाज़ के साथ हम खुद को गुनहगार ठहरा जा रहे थे,
भरी महफ़िल में लगा जैसे सिर्फ हम ही सजा- ए - मौत के हकदार हो गए।।

Kru...📝❤️

Hindi Shayri by Dr.Krupali Meghani : 111637121

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