*-सच्चाई-*

सच्चाई पर देखो उसको, पर्दा डाले रहता है।
लेकिन खुद को असली झूठा, पूरा सच्चा कहता है।।

झूठों की बारात में हालत, क्या होती है सच्चे की।
जैसे खिल्ली रोज उड़ाते, हैं बच्चे ही बच्चे की।।

जीवन के जंजाल में यारों, फँसा हुआ हूँ क्या बोलूँ।
सहमी सहमी रहती है अब, राज मैं उसके क्या खोलूँ।।

मन की बातें मन ही जाने, कब क्या उसके मन में है।
जन जन में अफवाहें फैलीं, अफवाहें ही कहता है।।

सच्चाई पर देखो उसको, पर्दा डाले रहता है।।।।

-पन्ना
#सच्चाई #कविता #मनकीबात #पर्दा

Hindi Poem by Lakshmi Narayan Panna : 111632687

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now