दूर गगन और ख्वाबों का विस्तार,
आशाएं संभल कर करती रही विचार,
कदम-कदम पर हुआ आपस में संवाद,
फिर भी नहीं मन ख्वाहिशों से आज़ाद।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

Hindi Shayri by Kamini Gupta : 111632510

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