गर तू बादल है तो बरसता क्यों नही,
तू है गर जाम तो छलकता क्यों नही
सदियों की तिशनगी है रूह को मेरी
गर है तू समंदर तो मचलता क्यों नही।।।

Hindi Shayri by Shree : 111630801

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