कभी मैं तो कभी तु मुझसे जीत गया,
इसी चक्कर में एक साल बीत गया...
कभी ना रोका खुदको ,
दिल का हाल सारा एक तुझे ही बता दिया...
फासला रहा कई मिलो का,
हर बार आंख बंध करते ही तुझे रूबरू पाया...
ना कोई सिकवा, ना ही कभी शिकायत,
Jaan तु तो मेरी सोच से भी ज्यादा अच्छा निकला...
मेरे हर शब्द में दिखती हैं , तेरी ही छाया,
मैं यूं ही ताउम्र बनके रहना चाहती हूं तेरा ही साया...