कि मौसम ने भी ली है अंगड़ाई , एक नई सुबह और ख्वाहिशें भी लाई है अनकही, हा सपने है वही पुराने लेकिन जज्बा है नया,
कुछ मेरी कुछ तुमारी पर बात हे नई

-Rajgor krunal

Hindi Shayri by Rajgor krunal : 111626086

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