'झाड़ू'

हां मे झाड़ू हुँ,
घर के कोने मे रहता हु,
या घर कि किसी दीवार पे टांग दिया जाता हुँ...।
गंदकी साफ करता हुँ,
घर को साफ रखता हुँ...।
बच्चों को लिए खिलोना हुँ,
शरारत की तो माँ के हाथो की लाठी हुँ...।
किसीके दिल को साफ नही कर पाता मगर सभी को स्वच्छ रखता हुँ,
हां मे झाड़ू हुँ ।
- *કલમ*

Hindi Poem by vasudev : 111625826

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now