सोचा कि मेरा ही ख्वाब पल रहा था, पर...
मतलब की पनाह मे स्वार्थ का दीया जल रहा था
ना पुछा किसीने या अनदेखा कीया,
सपनो का सूरज क्यू बेवक्त ही ढल रहा था

-Krunalmore

Hindi Shayri by Krunalmore : 111624976

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