हुस्न -ए-चांदणी इस तरह न इशारा किया करो
लगता है आगोश मे ले लू कितना दूर तूम रहती हो

-शब्दांकूर

Hindi Shayri by शब्दांकूर : 111618648

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now