अंतर्मन के लोचन से झरती अश्रु की धारा
को अपने भीतर समेट कर वह बोली,
अपना ध्यान रखना ..

उसने भी अधरों पर मुस्कान से कहा,
फिर मिलेंगे..

दोनो जानते थे ये उनकी अंतिम भेंट है ..



अमृत....

Hindi Poem by Amrut : 111617763

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