आए जो कुछ आए तो ऐसी हसीं शाम आए ,
आप आए, कुछ अब्र, और फिर शराब आए ,
हर मौसम आए, फिर भी देखो आप ना आए ,
आपके नाम से देखो, आशिक़ बेहिसाब आए ,
दिल पे हुई दस्तक, की दरवाजे पर आप आए ,
आए तो कुछ ऐसे आए, की लगे खुदा आए ,
उठे हाथ के साथ जैसे दुआ बेशुमार आए ,
हम भी एक दूजे से ऐसा रिश्ता निभा जाए ,
हैरत होती है कि मेरी आपको याद ना आए ,
और में तो समज़ू की हर आहट में आप आए ,
चलो जी छोड़ दिया पागल थे जो ख्वाब आए ,
वो काफ़िर थे कि जिनसे आश वफ़ा की लगाए ,
लौट चलें फिर उस अंधेरी सुरंग में जहा से आए ,
यहां तो अक्सर "रजनी " के बाद भी रजनी आए ,
आए जो कुछ आए तो ऐसी हसीं शाम आए ...
-અંજાન K