"हाथ मेरा थाम लो"

बीच मझधार में छोड़ कर ना जाओ मेरे यार तुम,
हाथ मेरा थाम लो जीवन साथी बना कर तुम मुझे।

बहुत हसीन ख्वाब सजाए थे मैंने कई,
ना तोड़ कर जाओ तुम हाथ मेरा छोड़ कर।

थे हसीन वो लम्हें गुजरे हुए वक्त के जहन में कई,
उन लम्हों को फीस जिंदा कर लो हाथ मेरा थाम कर।

जीना अब आसान नहीं और मरना दुश्वार हुआ,
जिस्म छोड़ दूं मैं, मगर रूह भटके तेरी चाह में।

जीवन तो मेरा ना सवारों, कोई बात नहीं पर,
मौत मेरा सवारों ,एक बार हाथ मेरा काम कर।

हैं यह बातें सिर्फ शेखचिल्ली की, नहीं है कुछ भी सच,
विषय मिला "मित्र" को, सुनाया तराना झूठा मगर संगीत।

{✍️ मनिष कुमार "मित्र" 28,11,2020🙏 }

Hindi Poem by मनिष कुमार मित्र

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now