ये नसीब तू कितना रूलायेगी
शौहर और ससुराल वालों से,
जलील कराती रही,
अब क्या अवलादें भी
दांव पर लगायी जायेगी।
बस अन्त कर दुखों का
लगता है रूसवाई तक
आजमायेगी।

-Suneeta Gond

Hindi Thought by Suneeta Gond : 111617411

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