*माता-पिता*
माता-पिता अपने लिए
कभी विचार नही करते हैं।
अपने कुटुम्ब की दीनता
पर अवश्य विचार करते हैं।
संताप से दूर रख पुत्र को
अपनी आत्मा में रखते-
माता -पिता के हृदय में
सदा ईश्वर निवास करते हैं।
माता-पिता के सम्मान से
धन मिलता है आपार।
श्रेष्ठ रहें आशीष से उनके
चरित्र,आचरण, ब्यवहार।
उनके चरणों मे छिपा
आरोग्यता का बरदान।
संतान पालने में उन्हें
होता नही जरा अभिमान।
माता-पिता पुत्र पालने में
सहा होता है जो दर्द।
क्या कोई पुत्र समझ पाता
उनके इस दर्द का अर्थ?
माता-पिता की बृद्धता में
पुत्र लगाते पालने की शर्त।
माता-पिता की सेवा बिना
पुत्र का जीना है व्यर्थ।
रचना-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'
किताब:-'सच के छिलके' संग्रह से