सो रहा है सिंहासन, किसान की ललकार है,
दिल्हीकुंच तानाशाह सिंहासन पर प्रहार है।

लाखो का शैलाब आ रहा कैसे रोक पाओगे,
किसान और जवान को तुम शत्रु बनाओगे!
हमको चाहिए न्याय यह किसान की हुंकार है।

निकले किसान रस्ते पर, सिंहासन डोल गया,
किसानों के दुश्मनों की वो पोल खोल गया।
किसान के हाथ मे हल रूपी अब तलवार है।

दुनिया का पेट भरने वाला रस्ते पर खड़ा है,
सरकार को पूछता हूं, स्वार्थ बड़ा ये देश बड़ा है?
सुनलो नेताओ यह लड़ाई अब आरपार है।

में भी मनोज बेटा हु एक देश के किसान का,
बदला लेता हूं में सभी किसान के अपमान का।
यह कलम नही है, समजो तलवार की धार है।

मनोज संतोकि मानस

Hindi Blog by SaHeB : 111617315
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

यथार्थ प्रस्तुति

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