तुमसे ही दीवाली है ,तुमसे ही मेरी होली
तुमसे ही ये सरगम है , कोयल सी मीठी बोली
हर मां की आस हो तुम , हर मां की चाह हो तुम
चेहरे की हो खिलखिलाहट , जवानी की हो ठिठोली
हर भाल का चंदन हो , मांग का सिंदूर तुमसे
पूजा की थाली तुमसे , तुमसे है धूप - रोली
पंछी की तान तुमसे , वनचरों की दुनिया तुमसे
झरनों का नाद तुमसे , नदियों की है अठखेली
तरुणाई के स्वप्न तुमसे , बुजुर्गों की शांति तुमसे
तुम हो तो सच है दुनिया , तुमसे ही भाषा - बोली
तुमसे ही मुस्कुराहट है , करुणा की दुनिया तुमसे
तुम हो तो ये जहां है , ये दुनिया बड़ी अलबेली
तुम ही हो सबकी आशा , तुमसे ही दिल की भाषा
तुम हो तो जग है सुंदर , जग की छटा निराली
तुम हो तो देश खुश है , नश - नश में देश जीवित
तुम बिन न कुछ जहां में , ज्यों बिन सांस देह खाली

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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111615863

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