विरह की घड़ियों के बाद मिलन के सुनहरे पलों का आना अभी बाकी है।
तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा लौट कर आना अभी बाकी है।
ये मन बावरा अक्सर भटकता रहता है तुम्हारी तलाश में।इसी मन बावरे का मंजिल पर पहुंच कर ठहरना अभी बाकी है।
तेरे जाने के बाद यूँ तो किस्से बहुत सुनाये है जमाने ने मुझको
लेकिन इन्ही किस्सो का कहानियां बन कर अमर हो जाना अभी बाकी है।
तेरे हर एहसास को संजोया है मैंने खुद में मेरी रूह की तरह।इसीलिए तू मुझमे अभी बाकी है।हां तू मुझमे अभी बाकी है।

Hindi Shayri by Apoorva Singh : 111615510
मनिष कुमार मित्र" 3 years ago

बहुत ही लाजवाब और दिलचस्प दिल को छू लेने वाली शायरी। हार्दिक धन्यवाद 🙏

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