कान्हा तेरी प्रीत में क्या उलझ गए,
दुनिया के सारी खुशी मेरे ख्वाब में बसने लगे,
मीठी आवज है जो तेरी निंदिया में भी सुनाई दे रही,
मेरी नींद भी तो कशमकश तेरी रूह से जुड़कर पनाह दे रही

Hindi Shayri by ए- हुस्न - की - राजकुमारी : 111614764

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