मां अक्षर याद आती है जब जीवनमे अंधेरा छा जाता है,
इधर का उधर हो जाता है जब मां का साया बीखर जाता है, बात तो लाखफतेह की हे, मां के बीना महाकाल भी अधुरा हो जाता है.

-Yuvrajsinh Solanki

Gujarati Folk by Yuvrajsinh Solanki : 111613963

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