अधूरे से सपने,
अधूरा सा मैं,
समेटने में कुछ टुकड़े सपनो के,
कुछ सपनो में ही खोया सा मैं,
जी लेंगे जिंदगी भी एक दिन,
जिस दिन फलक पर चांद होगा मेरा,
और बन सकूंगा थोड़ा ही सही लेकिन पूरा सा मैं......
#जिन्दगी के सपनो के नाम ,
संघर्ष को मेरा प्रणाम.....✍🏼
-ऋषभ पांडेय