गुजरे हुए रास्ते से आज फिर से गुजरे है ...
टूटे हुए ख़्वाब जहाँ बिखरे पड़े है ...

दिल चाहता है फिर से समेट लू वो ख़्वाब सारे ..
थाम लू फिर से वो सारे जज्बातो का आँचल ..

वो ख़्वाब वो जज्बातों के बीच ही तो
कहीं जिंदगी बिखरी पड़ी है मेरी ...

शायद उन्हें समेटते समेटते कहीं
जिंदगी भी समेट जाये ...


उन ख्वाबो और जज्बातो का आइना है जिंदगी मेरी ।

समेट पाउ या न समेट पाउँ बस
थोड़ी देर उस रास्ते पे थम जा तू जरा जिंदगी ।

Dr.Divya

Gujarati Romance by Dr.Divya : 111610698

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