हे आदित्य, हे रश्मि रथि,
तेरी आभा से ये जीवन सुखी।

कार्तिकेय की माता षष्ठी भी,
छठी मइया बनकर हुई धनी,
सरकंडे में बिलखते बालक को,
शक्ति और काया तुमने ही दी।
हे आदित्य, हे रश्मि रथि,
तेरी आभा से है जीवन सुखी।

माँ सीता और सुकन्या पर,
जब विकट विपत्ति आन पड़ी।
हे सूर्य तुम्हीं थे इक अवलम्ब,
हर शाप शोक से दी मुक्ति।
हे आदित्य हे रश्मि रथि।
तेरी आभा से है जीवन सुखी।


पोखर,झील,नदी तट पर,
जगमग जगमग है ज्योति जली,
कठिन व्रतधारी मां बहनें ,
तेरा वर पाने घर से चली।
गांव गली और नगर डगर,
हे सूर्य तुम्हारी होती स्तुति।
हे आदित्य, हे रश्मि रथि,
तेरी आभा से है जीवन सुखी।

मुक्तेश्वर सिंह मुकेश
16/11/2020,6-45सुबह।

Hindi Religious by Mukteshwar Prasad Singh : 111610376
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अति सुंदर प्रस्तुति..

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