जिंदगी को कर दिया है जिंदगी के हवाले ...

गुमनाम सी राहो पर चल पड़े है यू ...

नाही रास्ते का पता ;

नाहीं मंजिल का .....

बस युही गुमराह फिर रहे हम ...

न जाने कोन सी डगर ....

कोन सी राह पर चल पड़े है कदम ...

कुछ पाने की आरजू में ;

कुछ ख्वाहिशें पूरी करने की आरजू में ;

सब कुछ लुटाने को चल पड़े है हम ...

Dr.Divya

Gujarati Shayri by Dr.Divya : 111610120
Dr.Divya 3 years ago

Abhar ji 😇🙏

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

वाह.. बहुत खूब...

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