अब नहीं होता इंतज़ार क़यामत का रोज़ रोज़..
किसी रोज़ क़यामत को गले लगाने को जी चाहता है..
यूँ धुंआं बन हवाओं में उड़ जाने को जी चाहता है..

Hindi Shayri by Sarita Sharma : 111604515

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