माना की, कुछ आदतें मुजमे एसी भी है, जो आपको कभी राज़ नहीं आती, लेकीन फिर भी मुजे, तो आप यूँ ही रेहने दो, मेरा ये लिबास भी तो उस मालिक के हिसाब से ही मिला है, फिर क्यूँ ढूंढ़ते हो एक नया लिबास, मैं जैसा भी हूँ, मुजे तो आप वैसा ही रहने दो।

Hindi Thought by Baatein Kuch Ankahee si : 111602951

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