My Meaningful Poem..!!!


यारों पगला दिल ये अपना है
जिस में आज भी बचपना ही हैं

ना है कोई बनावट ना मिलावट
जैसा हैं वैसा ही बस इसे दिखना हैं

जैसा हैं भीतर वैसा ही बाहर भी
ना लोभ ना द्वेष ना मिथ्याभिमान हैं

मासुम बच्चे-सा इस पल रुठना
ग़र दिल से कोई मनाएँ तो मान जाना

पर होती हैं जब भी दिमाग में हरारत
तो हम भी करने लग ही जातें हैं शरारत

हसरतें सिलवटें करवटें न ही मुखौटे
साफ़ दिल साफ़ चेहरा साफ़ ज़बान

शायद इसीलिए प्रभुजी पर ही होती
ख़त्म हर शायरी हमारी,ख़त्म हर क्लाम़

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Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111602621
Dr Prakash G Modi 3 years ago

વાહ,બહ સુંદર.

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