काना की मुरली पुकारें आजा गौरी खेलेंगे रास l
वृन्दावन में रास खेले गोपी संग काना ll


एक एक गोपी संग एक एक काना l
अजब ग़ज़ब की लीला करे काना l
होके मगन रास खेले गोपी संग काना ll

रंगबेरंगी कपडों मे सोहे काना l
नटखट नखरों से मोहे काना l
ढोली के संग रास खेले गोपी संग काना ll
#NAVRATRI

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111598378

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