कैद खुशियां में फूलो की तरह कभी महकने के लिए,
न्योछावर कर दिए हर दिल के अरमान पत्थर को पिघलाने के लिए,
उसकी रूह के ताल्लुक से हुआ मशवरा इश्क़ के लिए ,
वो हिसाब से भी बेहिसाबी लफ्ज़ को कभी ना सुनवाई करने के लिए ,
मंजिल खड़ी थी ये जुस्तजू में बेअदब पाने के लिए,
यादों में बनकर ले करवटें इसे जान आे दिल के करार में भरने के लिए,
जिंदगी जीने की उम्मीद बसी उसे कहीं पे आजमा ने के लिए,
फरेबी बन रहे सिलसिला ये कायम का ये जुनून बताने के लिए,
दिल ए दरिया में बसी कहानी थम गई उड़ान भरने के लिए,
सुरूर से महुब्बत के शौख कहीं दफना दिए और वो बंधे रहे उसको भूलने के लिए।
DEAR ZINDAGI 🙏