जो कभी किसी का साथ नहीं पाती हूँ ,
तो मेरे साथ होती है 'माँ' ,
क्योंकि तु मेरी परछाई हैं ||

जो कभी मार्ग से मैं भटक जाती हूँ ,
तो मुझे सही मार्ग दिखाती है 'माँ',
क्योंकि तु मेरी मार्गदर्शक हैं ||

जो कभी उलझनाे में उलझ जाती हूँ ,
तो उलझन मेरी सुलझाती हैं 'माँ',
क्योंकि तु मेरी सुलझन हैं ||

जो कभी दुखो से घिर जाती हूँ ,
तो दुख मेरे दुर करती है 'माँ',
क्योंकि तु मेरी दुखहरता हैं ||

जो कभी बुराई को पास पाती हूँ ,
तो बुराई से मुझे बचाती हैं 'माँ',
क्योंकि तु मेरी अच्छाई है ||

जो कभी घबराहट महसूस करती हूँ ,
तो राहत तु मुझे देती हैं 'माँ ',
क्योंकि तु मेरी शान्ति हैं ||

जो कभी में किसी से कह नहीं पाती हूँ ,
तो बिन कहे समझ जाती हैं 'माँ',
क्योंकि तु मेरी मन:स्थिती हैं ||

-Priyanka Jangir

Hindi Poem by Priyanka Jangir : 111594218

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