ये अश्क जो ख़ामोशी से बहते है,

जरा गौर फरमाइए

आपसे बहोत कुछ कहते है....

- "लिहाज"

Hindi Poem by Bhumika Gadhvi अद्रिका : 111591897
Dhruv oza 3 years ago

अश्क है खारे है चिपचिपे है इनका काम, यादोको बहाके ज़िन्दगीको खाली करते है, इनके एहसास को छूके ज़ख्म ताज़ा न करे, ये खामोश है बहते है बहजाने दे इनको बस। 😢😢😢😢

Naranji Jadeja 3 years ago

इतनी तहज़ीब से ना नवाज़िये हमें... साहब हम शायर है आवारा लोगों में आते हैl   

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now