जब ढूंढते-ढूंढते,थक जाओ
दो घूट इश्क
तो समंदर से बाहर निकल कर
कुएं, बावड़ी और नदियों में ढूंढना

वह टपक रहा होगा
किसी नलके के मुंह से-

चू रहा होगा
पनघट की कज्जी से-

Hindi Poem by Rajesh Mewade : 111590626

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